नीति
आयोग : उद्देश्य और संगठन
सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर एक नया संस्थान नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत
परिवर्तन संस्थान) बनाया है। नए संस्थान के संबंध में जानकारी देने वाला
मंत्रिमंडल का प्रस्ताव आज जारी किया गया। बीतते वर्षों के साथ सरकार का संस्थागत
ढांचा विकसित और परिपक्व हुआ है। इससे कार्यक्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित हुई है
जिसने संस्थाओं को सौंपे गए कार्यों की विशिष्टता बढ़ाई है। नियोजन की प्रक्रिया
के संदर्भ में शासन की ‘प्रक्रिया’
को शासन की‘कार्यनीति’ से अलग करने साथ
ही साथ उसे ऊर्जावान बनाने की जरुरत है।
शासन संरचना के संदर्भ में हमारे देश की जरूरतें बदली हैं ऐसे में एक ऐसे
संस्थान की स्थापना की आवश्यकता है जो सरकार के दिशात्मक और नीति निर्धारक थिंक
टैंक के रुप में कार्य करे। प्रस्तावित संस्थान प्रत्येक स्तर पर नीति निर्धारण
के प्रमुख तत्वों के बारे में महत्वपूर्ण और तकनीकी सलाह देगा। इसमें आर्थिक
मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयात के मामले, देश के भीतर और अन्य देशों में उपलब्ध सर्वोत्तम
प्रक्रियाओं के प्रसार, नए नीतिगत
विचारों को अपनाने और विषय आधारित विशिष्ट सहायता शामिल है। यह संस्थान लगातार बदल
रहे एकीकृत विश्व के अनुरूप कार्य करने में सक्षम होगा, भारत जिसका एक भाग है।
संस्थान के तहत व्यवस्था में केंद्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय
नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रुप में राज्यों की वास्तविक
और सतत भागीदारी से बदल दिया जाएगा। त्वरित गति से कार्य करने के लिए और सरकार को
नीति दृष्टिकोण उपलब्ध कराने के साथ साथ प्रासंगिक विषयों के संदर्भ में संस्थान
के पास आवश्यक संसाधन, ज्ञान, कौशल और क्षमता होगी।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विश्व के सकारात्मक प्रभावों को अपनाते हुए संस्थान
को इस नीति का पालन करना होगा कि भारत के परिप्रेक्ष्य में एक ही मॉडल
प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता है। विकास के लिए हमें अपनी नीति स्वंय निर्धारित
करनी होगी। देश में और देश के लिए क्या हितकारी है, संस्थान को इसपर ध्यान केंद्रित करना होगा जो विकास के लिए
भारतीय दृष्टिकोण पर आधारित होगा।
इन आशाओं को जीवंत बनाने के लिए संस्थान है - नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान )। इसे राज्य सरकारों,
संसद सदस्यों, विषय विशेषज्ञ और संबंधित संस्थानों सहित तमाम हितधारकों के बीच गहन विचार विमर्श
के बाद प्रस्तावित किया गया। नीति आयोग
निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए कार्य करेगा –
• राष्ट्रीय
उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय
विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और
रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। नीति आयोग का विजन बल प्रदान करने के
लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को ‘राष्ट्रीय एजेंडा’ का प्रारूप
उपलब्ध कराना है।
• सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर
सकता है इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर
संरचनात्मक सहयोग की पहल और तंत्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देगा।
• ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के
लिए तंत्र विकसित करेगा और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुंचाएगा।
• आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि जो क्षेत्र विशेष
रूप से उसे सौंपे गए हैं उनकी आर्थिक कार्य नीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के
हितों को शामिल किया गया है।
• हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान
देगा जिन तक आर्थिक प्रगति से उचित प्रकार से लाभान्वित ना हो पाने का जोखिम होगा।
• रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा
कार्यक्रम का ढ़ांचा तैयार करेगा और पहल करेगा। साथ ही उनकी प्रगति और क्षमता की
निगरानी करेगा। निगरानी और प्रतिक्रिया के आधार पर मध्यावधि संशोधन सहित नवीन
सुधार किए जाएंगे।
• महत्वपूर्ण हितधारकों तथा समान विचारधारा वाले
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ ही साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान
संस्थानों के बीच भागीदारी को परामर्श और प्रोत्साहन देगा।
• राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों,
प्रैक्टिशनरों तथा अन्य हितधारकों के
सहयोगात्मक समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाएगा।
• विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने
के क्रम में अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच
प्रदान करेगा।
• अत्याधुनिक कला
संसाधन केंद्र बनाना जो सुशासन तथा सतत और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ
कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने के साथ-साथ हितधारकों तक जानकारी पहुंचाने में भी
मदद करेगा।
• आवश्यक संसाधनों की पहचान करने सहित
कार्यक्रमों और उपायों के कार्यान्वयन के सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय निगरानी की
जाएगी। ताकि सेवाएं प्रदान करने में सफलता की संभावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।
• कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए
प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर।
• राष्ट्रीय विकास के एजेंडा और उपरोक्त
उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियां संपादित करना।
· नीति आयोग का गठन इस प्रकार होगा-
1. भारत के
प्रधानमंत्री- अध्यक्ष ।
2. गवर्निंग
काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल
होंगे।
3. विशिष्ट
मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से
हो,को
देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए
बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक होगी
और इनमें संबंधित क्षेत्र के राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्र शासित प्रदेशों के
उपराज्यपाल शामिल होंगे (इनकी अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष करेंगे)।
4. संबंधित
कार्य क्षेत्र की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ और कार्यरत लोग, विशेष
आमंत्रित के रुप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित किए जाएंगे।
5. पूर्णकालिक
संगठनात्मक ढांचे में (प्रधानमंत्री अध्यक्ष होने के अलावा) निम्न होंगे।
(i)
उपाध्यक्षः
प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त।
(ii)
सदस्यः
पूर्णकालिक
(iii)
अंशकालिक
सदस्यः अग्रणी विश्वविद्यालय शोध संस्थानों और संबंधित संस्थानों से अधिकतम दो
पदेन सदस्य,
अंशकालिक
सदस्य बारी के आधार पर होंगे।
(iv)
पदेन
सदस्यः केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नामित
होंगे। यदि बारी के आधार को प्राथमिकता दी जाती है तो यह नियुक्ति विशिष्ट
कार्यकाल के लिए होंगी।
(v)
मुख्य
कार्यकारी अधिकारीः भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी को निश्चित कार्यकाल के
लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
(vi)
सचिवालय
आवश्यकता के अनुसार