नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग खुशियों की सौगात लाया, वहीं अब उनके लिए बुरी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि उनके न्यूनतम वेतन में वृद्धि नहीं होगी और 7 वें वेतन आयोग के तहत उन्हें मिलने वाले भत्ते पर टैक्स लगाया जाएगा। यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अच्छा साल नहीं रहा है।
कर्मचारी संघों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए से बढ़ाकर 26,000 रुपए किया जाए। सरकार ने पहले आश्वासन दिया था कि वह इस मुद्दे पर गौर करेगी। इसके अलावा सरकार ने यह भी तय किया है कि वह कर्मचारियों को मिलने वाले अलाउंस पर भी कर लगाया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नए भत्ते आयकर के दायरे में आएंगे। वित्तीय वर्ष 2017-18 से दिए गए भत्तों पर आयकर लगाया जाएगा। वित्त विधेयक 2017 में सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों दोनों की बेसिक सैलरी, बोनस और भत्ते पर कर लगाना प्रस्तावित किया गया था।
सरकार का मानना है कि अगर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मूल वेतन को छोड़कर सभी भत्ते कर मुक्त कर दिए जाएं, तो यह अन्य लोगों के साथ भेदभावपूर्ण होगा। नेशनल एनॉमली कमेटी में वेतन वृद्धि करने पर चर्चा की गई थी। कमेटी इन विषयों को देख रही थी। हालांकि, सरकार ने फैसला किया है कि वह इन मांग को आगे नहीं बढ़ाएगी।
सरकार ने फैसला किया है कि कर्मचारी संघों की इन मांगों में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। कर्मचारी यूनियनों के प्रयासों के बावजूद, सरकार ने फैसला किया है कि न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए ही रहेगा। यह मामला फिलहाल समिति के समक्ष है। कर्मचारी संघों ने यह मांग की थी कि वेतन को 18,000 रुपए से बढ़ाकर 26,000 रुपए कर दिया जाए। अगर समिति उसी पर विचार कर रही थी, तो सरकार का कहना है कि किसी बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने नए भत्तों पर आयकर से छूट की मांग की थी। कर्मचारियों ने यह मांग भी की थी कि भत्तों को जुलाई 2016 से शुरू होने वाले बकाए के साथ लागू किया जाए। हालांकि, पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया और कहा कि भत्ते जुलाई 2017 से प्रभावी होंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कर्मचारियों ने भी इसी तरह की मांग की थी। वे भी मांग कर रहे थे कि उनके वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपए कर दिया जाए। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ लिंक नहीं किया जाएगा।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि निजी क्षेत्र के लोगों की तुलना में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन सम्मानजनक होना चाहिए। हालांकि, कर्मचारियों को लग रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है और जुलाई 2016 से भत्ते के बकाए की मांग पूरी नहीं होने पर वे निराश महसूस कर रहे हैं।
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कर्मचारी संघों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए से बढ़ाकर 26,000 रुपए किया जाए। सरकार ने पहले आश्वासन दिया था कि वह इस मुद्दे पर गौर करेगी। इसके अलावा सरकार ने यह भी तय किया है कि वह कर्मचारियों को मिलने वाले अलाउंस पर भी कर लगाया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नए भत्ते आयकर के दायरे में आएंगे। वित्तीय वर्ष 2017-18 से दिए गए भत्तों पर आयकर लगाया जाएगा। वित्त विधेयक 2017 में सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों दोनों की बेसिक सैलरी, बोनस और भत्ते पर कर लगाना प्रस्तावित किया गया था।
सरकार का मानना है कि अगर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मूल वेतन को छोड़कर सभी भत्ते कर मुक्त कर दिए जाएं, तो यह अन्य लोगों के साथ भेदभावपूर्ण होगा। नेशनल एनॉमली कमेटी में वेतन वृद्धि करने पर चर्चा की गई थी। कमेटी इन विषयों को देख रही थी। हालांकि, सरकार ने फैसला किया है कि वह इन मांग को आगे नहीं बढ़ाएगी।
सरकार ने फैसला किया है कि कर्मचारी संघों की इन मांगों में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। कर्मचारी यूनियनों के प्रयासों के बावजूद, सरकार ने फैसला किया है कि न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए ही रहेगा। यह मामला फिलहाल समिति के समक्ष है। कर्मचारी संघों ने यह मांग की थी कि वेतन को 18,000 रुपए से बढ़ाकर 26,000 रुपए कर दिया जाए। अगर समिति उसी पर विचार कर रही थी, तो सरकार का कहना है कि किसी बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने नए भत्तों पर आयकर से छूट की मांग की थी। कर्मचारियों ने यह मांग भी की थी कि भत्तों को जुलाई 2016 से शुरू होने वाले बकाए के साथ लागू किया जाए। हालांकि, पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया और कहा कि भत्ते जुलाई 2017 से प्रभावी होंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कर्मचारियों ने भी इसी तरह की मांग की थी। वे भी मांग कर रहे थे कि उनके वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपए कर दिया जाए। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ लिंक नहीं किया जाएगा।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि निजी क्षेत्र के लोगों की तुलना में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन सम्मानजनक होना चाहिए। हालांकि, कर्मचारियों को लग रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है और जुलाई 2016 से भत्ते के बकाए की मांग पूरी नहीं होने पर वे निराश महसूस कर रहे हैं।
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